Kach (
ANGIKA KAWYA ) कच (
अंगिका काव्य )
कच
अनिलचन्द्र ठाकुर
शेखर प्रकाशन
बोरिंग रोड (पश्चिम) पटना -१
समर्पण
तोरा भाल्हों नS पता छौन,
तोरा हम्में पर प्यार करे छी |
टोरो बिरह में कविता गावी ,
दिल के अपनों घाव भरे छी |
भले न S मनो हाम्रो लेकिन
कच तै तोहिं देले छो |
हाम्रो श्रम छं खाली ऐमें,
तों त कुच्छू न S लेलं छ S |
सिध्हिदात्री छेक S तोहिं त ,
हे ! एक बात मान S जरा |
तोरे कर में “कच” समर्पित ,
हे “नूर पूर्वोत्तरा “ |
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भावना (नूर पूर्वोत्तरा) तोरS
पुजारी
अनिलचन्द्र ठाकुर
अभिशंषा
भाषा , भाव आरो अभिव्यक्ति के दृस्टी से सचमुच ई काव्य अपना ढंग के अनूठा छै | सच कहलS जाय तं अंगिका के अब तक के प्रकाशित काव्य में “कच” के अपनS विशिष्ट स्थान छे | “कच ” आरो देवियानी के अनुपम प्यार कं सरस आरो सरल भाषा में प्रश्तुत करतें होलS कवी ने अपनS अद्भुत प्रतिभा के परिचय देले छै | कच के कर्त्तव्य निष्ठा , गुरु भक्ति , धैर्य आरो सहिष्णुता ने “कच ” के चरित में चार चंद लगाये देलS छे | देवयानी के प्रेम भी पवित्र छै | प्रेम में देवयानी अंधी होय गली छै आरो विरह वेदना कं बर्दास्त नै करं सके छै |
“पत्थर के मूरत सन बनी कं , देवयानी जस के तस रहली |
लेकिन बिर्हाग्नी में तरपी कं , सोचS में गली बहली ||
कच के कथानक महाभारत के कथा पर आधारित छै | ये में कवि ने देश प्रेम के भावना “कच ” के द्वारा आरो देहिक प्रेम देवयानी के द्वारा देखले छै | “ देखन में छोटो लगे घाव करे गंभीर “ रं बात ई काव्य में भी चरितार्थ होलो छS | ई लघु काव्य में काफी प्रवाह आरू रोचकता छे | हमरा विश्वास छं की कोई भी पाठक “कच” काव्य पढ़ी कं कवि कं धन्यवाद देलें बिना नै रहतै |
कवि सचमुच बधाई के पात्र छै |
शेखर प्रकाशन नरेश पाण्डेय ‘चकोर’
बोरिंग रोड (पश्चिम) संपादक
पटना -१ अंग माधुरी
पैहलS कथाध्याय
देवS के छेले सभा बैथलS एक गूढ़ विचार में लीन |
सुर पर सबटा लागलो ,हरीं राखल रहै.......................................................
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