"सुबह" एक पारिवारिक हस्तलिखित मासिक साहित्यिक पत्रिका थी, जिसका संपादन और प्रकाशन अनिलचंद्र ठाकुर ने 1993–94 में अन्नपूर्णा प्रकाशन, समेली (कटिहार, बिहार) से किया था। यह पत्रिका विशेष रूप से क्षेत्रीय लेखकों को मंच देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी और इसे एक "परिवारीक सृजन का मासिक" कहा गया था।
✍️ विशेषताएँ:
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हस्तलिखित प्रारूप: इसे कंपोज़ या मुद्रित नहीं, बल्कि हस्तलिखित रूप में प्रकाशित किया गया, जिससे इसकी आत्मीयता और व्यक्तिगतता झलकती है।
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परिवार आधारित सृजन: इस पत्रिका के लेखन, सम्पादन और प्रकाशन की प्रक्रिया में ठाकुर परिवार की सक्रिय भागीदारी थी, जो इसे एक अनूठा पारिवारिक साहित्यिक उपक्रम बनाती है।
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संकल्प और प्रतिबद्धता का प्रतीक: सम्पादकीय में यह स्पष्ट किया गया है कि "सुबह" केवल एक पत्रिका नहीं, बल्कि लेखन और सम्पादन के प्रति संकल्प और उत्तरदायित्व का प्रतीक थी।
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समाज और साहित्य का संतुलन: इसके विभिन्न अंकों में न केवल साहित्यिक रचनाएँ थीं, बल्कि सामाजिक और दार्शनिक विचार, यात्रावृत्त, अनुभव और विचारशील बहसें भी प्रकाशित होती थीं।
🌼 सामाजिक और साहित्यिक योगदान:
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यह पत्रिका उन आवाज़ों को सामने लाने का माध्यम बनी जो प्रायः मुख्यधारा की साहित्यिक दुनिया में स्थान नहीं पा पाते थे।
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"सुबह" का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाजिक संवेदना, विचारशीलता और सृजनात्मक चेतना को जाग्रत करना था।
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